परिचय

प्रिय मित्रो,

यह पुस्तक आपको उन उपचारात्मक छवियों से परिचित कराएगी जो आपकी कई सारी स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने में सहायता कर सकती हैं। आपमें से कई लोग "थकान " से पीड़ित होते हैं जो कि मुख्य रूप से ब्रह्मांड और सूर्य से मिलने वाली उस ऊर्जा की कमी के चलते होता है जो हमें तरोताजा बनाए रखती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपने अपनी अनुचित जीवनशैली और नकारात्मक सोच के द्वारा इस ऊर्जा के प्रवाह को अपने शरीर तक आने से रोक रखा है।

अगर आप अपने शरीर को जान लें तो यह आपके कहे अनुसार अपने को पूरी तरह से पुनर्सृजित कर सकता है। यह जान लें कि आपका शरीर बिल्कुल एक कंप्यूटर की तरह है जो आपके सभी आदेशों के अनुसार ही प्रतिक्रिया देता है।

आपका शरीर कुछ निश्चित ऊर्जाशील क्षमता को दर्शाता है और ऐसा ही इसकी विशिष्ट शरीर-रचना के बारे में भी कहा जा सकता है। जब यह संतुलन गड़बड़ा जाता है, तो परिणामस्वरूप बीमारियां घर बनाने लगती हैं। यह वह स्थिति है जब किसी विशिष्ट शरीर-रचना के इर्द-गिर्द जैविक क्षेत्र इस ऊर्जा की अधिकता या कमी को दर्शाते हैं।

मेरी छवियों का उपचारात्मक प्रभाव आप पर हो सकता है यदि आपने अपने आपको प्यार हेतु पूर्ण सकारात्मक सोच के लिए खोल रखा है। ये नकारात्मक दृष्टिकोण के लिए प्रतिक्रिया नहीं देती हैं।

ठीक होने का इरादा लेकर इनमें से किसी छवि की ओर अपना हाथ बढ़ाएं। आपको गर्मी महसूस होगी, ऐसा लग सकता है कि पिन और सुइयां चुभ रही हों, या फिर उड़ता हुआ अनुभव करेंगे या खुजली महसूस हो सकती है। यह विकार के प्रकार और प्रभाव की गहराई पर निर्भर करता है। आपकी इंद्रियां/शारीरिक रचना उपचार के लिए ट्यून अप होना शुरू करेंगी। जितनी जल्दी भावनाएं अप्रकट होने लगेंगी उतनी जल्दी ही आपका उपचार पूरा हो जाएगा। फिर भविष्य में कभी उपयोग करने हेतु इसकी पवित्रता के इरादे से छवि को सुरक्षित रखने की जरूरत होगी।

यदि आप हृदय में क्रोध या घृणा का भाव रखते हुए छवियों को देखते हैं तो आप इन छवियों से किसी परिणाम की आशा नहीं कर सकते हैं क्योंकि नकारात्मकता के चलते ये प्रभावहीन हो जाएंगी।

उन लोगों के साथ इसका सर्वश्रेष्ठ परिणाम देखा गया है जिनका मन व हृदय प्यार से परिप्लावित होता है और जो क्षमा करने का भाव रखते हैं। केवल वही व्यक्ति जो क्षमा कर सकता है उसे क्षमा मिलती है। इसमें सफलता हेतु मेरी कोटिशः शुभकामना है।

रोजमर्रा के घनचक्कर में हममें से कुछ इस बात को महसूस करते हैं कि वातावरण में अपने विकिरण के विभिन्न गुणों और ताकतों के साथ हमारे चारों ओर ऊर्जा फैली है या ऊर्जावान क्षेत्र विद्यमान हैं।

अपने आप में ऊर्जा न तो अच्छी होती है और न ही बुरी; बल्कि मूलतः यह तटस्थ होती है। इसका मतलब यह है कि कोई अच्छी/बुरी ऊर्जा नहीं होती है। लेकिन इन ऊर्जावान क्षेत्रों की गुणवत्ता को हमारी सोच और मनोभावों की स्पष्ट झलक द्वारा प्रभावित किया जा सकता है। ये सभी ऊर्जावान क्षेत्र में स्थित निरंतर चल रहे विचारों पर निर्भर करते हैं। फिर, समानता के आधार पर आप इस बात को स्वीकार करते हैं कि आपने क्या समझा है, किसी एक ढंग या दूसरे ढंग से आपको कौन सी चीज संबोधित करती है; और/या आप अस्वीकार करते हैं कि आपने क्या नहीं समझा है एवं आपको क्या अनुनादित नहीं करता।

व्यक्तिगत विचारों की झलक हरेक काम में देखी जा सकती है, चाहे वह एक मजदूर का काम हो या फिर एक कलाकार का। छवियां इस विकिरण के सबसे ताकतवर साक्ष्य को निरूपित करती हैं। प्रत्येक छवि अपने मूल स्वरूप में ज्योतिर्मय (रेडिएटर) ही होती है। कुछ छवियां आपको शांत कर सकती हैं, तो कुछ दूसरी आपको उत्तेजित या कुढ़ा सकती हैं लेकिन कुछ ऐसी भी हैं जो आपको चंगा/ठीक कर सकती हैं।

मैं अपने मरीजों के उपचार में अपनी मदद करने के लिए प्रकाश मंडल से प्राप्त उपहार/वरदान के रूप में टेलीपैथिक स्कैनिंग के आधार पर बनाई गई छवियों को प्रस्तुत करती हूं। ये छवियां दो प्रकार की हैं- रंगीन और श्वेत-श्याम (ब्लैक एंड व्हाइट)।

श्वेत-श्याम छवियां आमतौर पर उपचारात्मक होती हैं या व्यक्तिगत शरीर-रचना या उनके विशिष्ट भागों (या अनुप्रस्थ काटों) को दिखाती हैं। उनमें से कुछ बीमारियों की संकेतक होती हैं। वे उस स्थान पर ऊर्जा जोड़ने के लिए इंद्रधनुष को विकीर्ण करती हैं जहां इसकी कमी होती है और वहां से हटाती हैं जहां यह अधिक होती है। इसके अलावा, वे बीमार से कार्य ऊर्जा ग्रहण करती हैं और उनके केंद्र में उसे बर्न करती हैं।

रंगीन छवियां प्रकाश से उत्पन्न होती हैं। वे विभिन्न रंगों और तीव्रता वाली ऊर्जाओं का निर्माण करती हैं। आप उन्हें क्रिस्टल के रूप में अनुभव कर सकते हैं जिसके माध्यम से ऊर्जा प्रवाहित होती है या फिर उन्हें विकिरण के रूप में ग्रहण कर सकते हैं जिसकी किरण-पुंजें अंतर्वयित होती हैं और प्रक्रिया में खुली होती हैं।

यदि सही कार्यविधि का पालन किया जाए तो दोनों छवि प्रकारों की उपचार तीव्रता बहुत ही सशक्त होती है। हालांकि, यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि छवियों पर दृष्टिपात करने वाला कौन है और उसके इरादे क्या हैं। यदि किसी को यह पूर्वाग्रह है कि उपचार काम नहीं करेगा तो फिर वह व्यक्ति शायद ही इस चिकित्सा ऊर्जा को प्राप्त करने में सक्षम हो पाए।

लोगों का कुछ प्रतिशत ऐसा भी है जो ऊर्जा प्रवाह के प्रति असंवेदी होते हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि वे उपचारित नहीं हो सकते। मेरा अनुभव यह कहता है कि ये छवियां तब बेहतर काम करती हैं जब इन पर प्यार और विनम्रता के साथ दृष्टिपात किया जाए। फिर वे प्यार और निर्माण के सर्वोच्च सिद्धांत के साथ हमारे संपर्क हेतु मध्यस्थता का काम करती हैं और हमारे विचार एवं भावनाएं सर्वोत्तम ऊर्जा को सक्रिय करती हैं जो आगे चिकित्सा बाम (मलहम) के रूप में कार्य करते हैं। यह विकिरण (ज्योति), पुनर्सृजित करने की हमारी योग्यता को जागरूक करता है और फिर हम उन चीजों को ठीक-ठाक कर सकते हैं जो हमने अपनी लापरवाही और अज्ञानता के चलते क्षतिग्रस्त किया हुआ है। संभवतः आप सब जानते होंगे कि हमारी नकारात्मक सोच सबसे पहले हमारे आध्यात्मिक शरीर को नष्ट करती है और फिर ऊर्जा के मार्ग को एवं अंततोगत्वा हमारे भौतिक शरीर को। छवियों को इन सभी स्तरों पर काम करने की जरूरत है। बड़ी क्षति पर ऐसा लगता है कि पिन और सुइयां चुभो दी गई हों या सिहरन होने लगे। अत्यधिक गंभीर बीमारी में जलन, कंपकंपी, हांफना या दर्द महसूस हो सकता है।

इन भावनाओं से मत डरें। यदि आपमें उन्हें सहने की शक्ति है तो वह कंपकंपी या ठंड कुछ ही समय में सुखद गर्मी में बदल जाएगी और जो मजबूत मनोभाव थे वे कमजोर हो जाएंगे और फिर धीरे-धीरे गायब हो जाएंगे। कभी-कभी मरीज का हाथ छवि में किसी निश्चित बिंदु की ओर उठा हो सकता है। पूरी प्रक्रिया में आमतौर पर 15 से 20 मिनट या अधिक समय लगता है। यह वैयक्तिक होता है। उपचार की समाप्ति के एक सप्ताह के भीतर उपचारात्मक छवि को दुहराया जाना चाहिए।

यदि आप अपना हाथ किसी छवि की ओर बढ़ाते हैं और आपकी भावनाएं तब भी तटस्थ रहती हैं, तो आमतौर पर इसका मतलब यह है कि इलाज पूरा हो गया है या कि आप इस विशिष्ट बीमारी से ग्रसित नहीं हैं। कभी-कभी कोई व्यक्ति किसी गंभीर अपराध बोध के चलते छवि को सक्रिय नहीं कर सकता। यदि आप अपने वर्तमान या किसी विगत जीवन की अपनी त्रुटियों और गलतियों को अनुभूत करते हैं तो फिर आप प्रार्थना के द्वारा छवि को सक्रिय कर सकते हैं। सबसे पहले, आपको उन लोगों को क्षमा करना होगा जिन्होंने भूत में आपको नुकसान पहुंचाया हो सकता है और फिर आपको उनलोगों से क्षमायाचना करनी होगी जिन्हें आपने नुकसान पहुंचाया हो सकता है।

कई बार हमारा जीवन हमें अपने कर्जों/ऋणों को उतारने का अवसर प्रदान करता है, उदाहरण के लिए, हमारे आसपास के लोगों के प्रति सहानुभूति और घृणा के अलग-अलग किंतु अक्सर बेबुनियाद भावनाओं के माध्यम से।

सावधान रहें! वे लोग जो अपनी संपत्ति और व्यवहार से आपको सर्वाधिक जला रहे हैं या ईर्ष्याग्रस्त कर रहे हैं आपके विगत जीवनों के लेनदार हो सकते हैं जिन्हें आपने इसी तरीके से नुकसान पहुंचाया हो सकता है। अब वे आपको आईना दिखा रहे हैं और आपकी उन छुपी हुई विशेषताओं के खतरे से आगाह कर रहे हैं जिनसे आपको छुटकारा पाने की जरूरत है।

"जीवंत सपनों" के द्वारा अन्य संकेत निरूपित हो सकते हैं। इन सपनों में घटित होने वाली बातें कभी-कभी संकेतों/प्रतीकों के माध्यम से अभिव्यक्त हो सकती हैं। यदि आप अपने सपनों के बारे में सोचते हैं और उन्हें बकवास मानकर खारिज नहीं करते तो कुछ समय बाद आपको लगेगा कि वे आपको किन्हीं बातों की ओर इशारा कर रही हैं।

किसी बात का अनुभव करने और उन्हें समझने के क्रम में, हमारी कर्म योजना में बीमारियां भी शामिल होती हैं। ये बीमारियां उपचारित नहीं की जा सकती हैं और उनके संदर्भ में छवि अभी भी तटस्थ बनी रहेगी। एक संवेदनशील व्यक्ति चेतावनी संकेत के रूप में चुभन महसूस कर सकता है। यह हमारी जीवन योजना और इस जीवन से प्राप्त बहुमूल्य अनुभव का सुरक्षा चक्र है।

यदि आप अपने आप की मीमांसा पर काम करते हैं और अपनी त्रुटियों एवं गलतियों के कारणों को समझने की कोशिश करते हैं तो आप अपने स्वजीवन के लिए जिम्मेदारी उठाने के स्तर पर पहुंच सकते हैं। चूंकि, आपने अपनी स्वेच्छा से स्व को दान किया है तो आप अपनी गलतियों और उसके अनुवर्ती परिणामों के लिए आगे दूसरों पर दोषारोपण नहीं कर पाएंगे। आप इस ग्रह पर एक अद्वितीय अनुभव, सीखने हेतु एक अध्याय के रूप में जीवन पाएंगे जहां अपने कष्टों और अनुभवों के माध्यम से आप ज्ञान के साथ-साथ अपने पड़ोसियों के लिए दया/करुणा और प्यार की सीख हासिल करेंगे। जितनी जल्दी आप इन नियमों को जान व समझ लेंगे, आपकी त्रुटियों और गलतियों के परिणाम वाले कर्म क्षीण होने शुरू हो जाएंगे। अब आगे इनकी आवश्यकता नहीं होगी और आपको इन्हें पुनः अनुभव करने की जरूरत भी नहीं होगी।

यह पुस्तक और इसकी उपचारात्मक छवियां आपमें से उन लोगों के लिए बनाई गई हैं जो ब्रह्मांड के कानूनों, आत्म-सुधार और आत्म-शोधन को समझने का प्रयास कर रहे हैं। आपमें से जो इस पुस्तक के मर्म को सर्वश्रेष्ठ प्रकार से समझ लेगा वो अपने पड़ोसियों और खुद को भी बेहतर समझने में सक्षम होगा। आप और अधिक स्नेहशील बन जाएंगे और फिर प्यार और सच्चाई की सार्वभौमिक एकता से जुड़ने में आपका स्पंदन और भी कुशल हो जाएगा।

मैं आपके लिए अपने भीतर में जाज्वल्यमान लौ को प्रदीप्त रखने और प्यार एवं निर्माण के सर्वोच्च सिद्धांत की ओर सुरक्षित रूप से आगे बढ़ने के लिए इस तरीके से दिव्य ज्योति को प्रकाशित करने हेतु कामना करती हूं।

प्रायः लोग मुझसे पूछते हैं कि आपने कैसे और कब जाना कि आपमें चंगा करने की क्षमताएं विद्यमान हैं और इन सब का स्रोत क्या था। मेरा मानना है कि पुनर्सृजन की क्षमता और उपचारात्मक ऊर्जा का हस्तांतरण कोई अलौकिक घटना नहीं है अपितु यह हम सभी में विद्यमान होता है लेकिन हममें से सभी इस क्षमता/योग्यता को विकसित नहीं कर पाते हैं।

सच्चाई यह है कि मैं अपने जीवन में कई बार गंभीर रूप से बीमार हुई लेकिन मैंने हमेशा अपने आपको बहुत अच्छी तरह चंगा कर लिया। मैं इस बात को लेकर निश्चिंत भी थी कि मैं ठीक हो जाऊंगी। और यही वह बात है जिससे ठीक होने की भावना मन में सुनिश्चित होती है। इस तरह की सोच विकृत स्पंदनों को पहले से ही ठीक कर देती है। जैसे ही ऐसा आप सोचते हैं आप पहले ही आधा ठीक हो चुके होते हैं।

मेरी दादी और मेरी माँ की पृष्ठभूमि विशालकाय पहाड़ों की तलहटी में बसे एक छोटे से गाँव की है। इसे एक निर्धन किंतु सुंदर क्षेत्र माना जाता है। वहां लोग प्रकृति के काफी करीब होते हैं और कुछ हद तक इस पर ही निर्भर होते हैं। संभवतः यही कारण है कि वे रहस्यों की ओर आकर्षित होते हैं। वहां अधिकांश लोग अध्यात्मवाद की ओर आकृष्ट होते हैं। जलीय जादू-टोने को सामान्य रूप से प्रतिष्ठा प्राप्त होती है और बाल पर टिका अंगूठी से बना हुआ पेंडुलम कोई असाधारण/विलक्षण कार्य नहीं माना जाता है।

मैं बचपन से ही पेंडुलम के साथ खेली हूं और इससे हर तरह के बेवकूफाना सवाल पूछे हैं और पेंडुलम ने धैर्य के साथ उन सभी सवालों का उत्तर मुझे दिया है। मैंने इसमें कुछ भी चमत्कारिक नहीं पाया। एक दिन जब हम लंच में आलूबुखारे की पकौड़ियां खा रहे थे कि तभी कुछ ऐसी एकाग्रता से मैंने प्लेट के सॉस को ढंका कि दाहिने कोने से मैंने चम्मच को मोड़ दिया। मां यह सब देखकर बिलकुल भी खुश नहीं हुई। मुझे याद आता है कि चम्मच गर्म मोम के जैसा प्लास्टिक का था। बाद में जाकर मैंने जाना कि इस तरीके से चम्मचों को मोड़ना/झुकाना कोई आसान काम नहीं है जैसा कि मैं सोचती थी।

तीन वर्ष की उम्र से ही पढ़ना मुझे सबसे अच्छा लगता था। यद्यपि मेरी दृष्टि कमजोर थी और डॉक्टरों ने भी मुझे आंखों पर कम-से-कम जोर डालने को कहा था। इसका मतलब यह था कि मुझे बिल्कुल भी नहीं पढ़ना चाहिए। मैंने इस प्रतिबंध को कभी स्वीकार नहीं किया। बाद में मैंने अपने चश्मे को दरकिनार कर दिया और अपनी एक आंख को इस लायक प्रशिक्षित किया कि पचास वर्ष की अवस्था तक मुझे चश्मों की जरूरत ही नहीं पड़ी।

मेरे मातापिता बहुत दयालु और प्यार करने वाले थे। मेरे बचपन को आनंदपूर्ण और स्वतंत्रता से पूर्ण बनाने के लिए उनका बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं उनको प्यार और कृतज्ञता के साथ याद करती हूं। उन्होंने हमेशा ही उस हर बात/चीज के लिए मेरी उम्मीदों/अपेक्षाओं का समर्थन किया जो मेरे ज्ञान और कौशल के विकास में मददगार थे। परी-कथाओं के पठन के अलावा मेरा रूझान बाइबल में था। पहली बार इस पुस्तक के संपर्क में मैं तब आई जब मैं प्राथमिक विद्यालय में थी और मैं यीशु और उनके शिष्यों/अनुयायियों की कहानी पढ़कर बहुत ही मंत्रमुग्ध हुई थी। रहस्य, भूत-प्रेत की कहानियों वाली पुस्तकें भी मेरे यादृच्छिक पसंदगी में थे। उस समय मेरी कल्पनाशक्ति समृद्ध थी और उसी के फलस्वरूप मेरे भीतर हर चीज के लिए एक महान भय समा गया।

वर्ष बीतने के साथ, मैं भौतिकवादी दर्शन से परिचित हुई और मैं इसकी ओर इतना आकृष्ट हुई कि अब हर चीज के लिए एक तर्कबुद्धिसंगत व्याख्या ढूंढने का प्रयास करने लगी।

कभी कभी मुझे दृष्टि दिखाने की दया प्रदान की गई लेकिन यह मेरे बुद्धिवादी पूर्वाग्रहों के किले को तोड़ने के लिए पर्याप्त नहीं था। अब मुझे पता है कि मेरा जागरण एकदम समयोचित था। और इसके पीछे का कारण गंभीर बीमारी थी। दवाओं से मुझे कोई फ़ायदा नहीं हो रहा था और मुझे लगने लगा था कि कोई चमत्कार ही मुझे अब मौत के मुंह में जाने से बचा सकता है। मृत्यु की सन्निकटता में मैंने यह जाना और समझा कि इस भौतिक जगत के आगे भी बहुत कुछ है और कि इन सभी पदार्थों को नियंत्रित व शासित करने के लिए कानून और सिद्धांत भी मौजूद हैं।

निश्चित ही एकबार मुझे यह सब कुछ समझ में नहीं आया और अन्य आध्यात्मिक आयामों की गैर-मौजूदगी के बारे में अपने पूर्वाग्रहों के साथ मेरा दिमाग खपाना और अपने आप से लड़ना जारी रहा। मैं इन बातों हेतु साक्ष्य की तलाश करती रही कि वे रहस्यमय चीजें मौजूद हैं और कि मैं अपने खुद के मतिभ्रम की शिकार नहीं हूं। हालांकि साक्ष्य नहीं मिले, संभवतः मैं इसके लिए पर्याप्त परिपक्व नहीं हुई थी। लेकिन मुझे साक्ष्य का एक अंश प्राप्त हुआ। अपनी नादानी में मैंने अधिक के लिए कोशिश की और मैंने उन्हें पाया, लेकिन मुझे यह सब कुछ काफी बाद में समझ में आया।

एक दिन मुझे रिफ़्लेक्स (Reflex) पत्रिका के बारे में ज्ञात हुआ। उस प्रति में एक बिंदु का प्रिंट था जिसे उपचारात्मक ऊर्जा को विकीर्ण करने के लिए एक निश्चित क्षण पर सक्रिय किया गया था। मैंने अपनी घड़ी में समय देखा, रिफ़्लेक्स के प्रासंगिक पृष्ठ को खोलकर बैठी और प्रतीक्षा करने लगी।

ठीक निर्दिष्ट क्षण पर वह बिंदु चमकीले सफ़ेद प्रकाश में चमकना शुरू हुई जो 3-5 सेमी ऊपर की उछलती हुई एक इंद्रधनुषीय फव्वारे में बदल गई। ऊर्जा के उस विशिष्ट गीज़र की ऊंचाई का बदलना और इसके सौंदर्य ने मुझे मोहित कर दिया। उस क्षण मुझे एक आवाज सुनाई दे रही थी कि "तुम्हें इसे आजीवन करना चाहिए।" मैंने प्रकाश/ज्योति से बात करना शुरू कर दिया और आखिरकार मैंने अपने उपचार के बारे में पूछा। मुझे वैयक्तिक उपचार हस्तक्षेप महसूस हुआ और मैं और अधिक के लिए कहने लगी। इस संलग्नता में मैं सामान्य नहीं थी। उस ज्योति ने मेरी उत्तेजना को शांत किया, मेरे सवालों के जवाब दिए और मेरे शरीर और आत्मा को चंगा/उपचारित किया।

सत्र के बाद मुझे लगा कि जैसे मेरा फिर से जन्म हुआ है मुझे विश्वास हो गया कि यह उस उपचारक/हीलर के कार्य का परिणाम है जिसने अपनी ऊर्जा से बिंदु को सक्रिय किया है। बेशक, मैं उनकी बहुत आभारी थी और उन्हें लिखित में अपना धन्यवाद भेजा। कुछ सालों के बाद ही, मैं समझ पाई कि वह सत्र मुझे मेरे कार्यों हेतु जागरित करने के लिए था।

मेरे आध्यात्मिक गुरू ने मुझे ज्योति के माध्यम से जोड़ा। हालांकि, मैंने इस दुनिया से एक गुरू पर इसलिए जोर दिया क्योंकि मैं (उस समय) पूरी तरह अपने आपको असहाय और अज्ञानी मानती थी।

खोज का समय शुरू हुआ। मैं सच्चाई और अपने आध्यात्मिक गुरू की खोज में रत थी कि तभी अचानक एक दिन एक ऐसी पुस्तक मेरे हाथ लगी जिसमें मेरे अनसुलझे प्रश्नों के उत्तर दिए हुए थे। जब मुझे किसी भी पुस्तक में अपने सवाल का सटीक उत्तर नहीं मिलता तो मैं किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश में लग जाती जो मेरे प्रश्नों का ठीक उत्तर दे सके। लेकिन मुझे इनमें से किसी से संतुष्टि नहीं  मिली जिसके लिए मैं इस भौतिकवादी संसार में एक गुरू की प्रतीक्षा कर रही थी। सही गुरू से प्रत्यक्षीकरण अब तक नहीं हुआ था और मैं अधीरता के साथ उनकी बाट जोह रही थी।

हालांकि, मेरा सीखना एक मजेदार खेल के माध्यम से शुरू हुआ। मैंने पुस्तकों एवं पत्रिकाओं से बहुत कुछ जाना और लगभग इन सभी के बारे सार्वजनिक रूप से लिखा जा सकता है।

मुझे ज्ञात हुआ कि सभी ने मेरे लिए काम किया। मैं डाइविंग छड़ और पेंडुलम के साथ काम कर सकती हूं और अपनी ऊर्जा से चम्मचों को मोड़ सकती हूं एवं एक निर्दिष्ट बिंदु या छवि में जान डाल सकती हूं।

लेकिन मैंने अपने आप से पूछा कि ये सब किस लिए अच्छे हैं। इन सभी के लिए एक आंतरिक गहन भावना होनी चाहिए। मैं उन खेलों के बारे में जानती थी जो अधिक गंभीर की ओर बढ़ रहे थे।

एक दिन मैं उपचारकों/हीलर के एक समूह से मिली जिन्होंने मुझे अपने पास आने के लिए आमंत्रित किया। वहां मैंने जादू के मूल तत्व सीखे। मैंने अपनी आंखों के सामने दिख रहे संकेतों में भेद करना सीखा और दूसरे व्यक्तियों के कर्म को जाना। मैं अपने जीवन की उस अवधि तक रही जो मुझे अपने विगत जीवनों के मेरे अनुभव की याद दिलाती थी। वहां मैंने जाना कि इस धरती पर हरेक मनुष्य का एक उद्देश्य है जिसे पूरा करने के लिए उसे जीना चाहिए। मैं इस ज्ञान के लिए बहुत आभारी थी। इसके बावजूद, मैंने समूह छोड़ दिया। मुझे महसूस हुआ कि जादू कोई उच्चस्तरीय शिक्षा नहीं है; यह सृष्टि के नियम में अराजकता ला सकती है।

उस समय मैंने अन्य आयामों और क्षेत्रों से संपर्क शुरू किया। यह मेरी व्यक्तिगत प्रशिक्षण की शुरूआत थी। अंततोगत्वा, मुझे मेरे आध्यात्मिक गुरूओं की प्राप्ति हुई जिनकी मुझे वर्षों से प्रतीक्षा थी, हालांकि, वे इस क्षेत्र/मंडल के नहीं थे। उन्होंने मुझे बताया कि मनुष्य एक दिन उस चरण पर पहुंच जाएगा जहां उसे स्कैल्पल (छुरियों) की जरूरत नहीं रहेगी। उसके बजाय विशेष प्रकाश का इस्तेमाल होगा। प्रकाश/ज्योति को चाकू के समान नुकीला कर रूग्ण शरीर-रचना में उसके विशिष्ट स्पंदन/कंपन को वापस लाने के इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि इसके अन्य गुण, जैसे कि रंग तीव्रता प्रयुक्त किए जाते हैं, तो यह शरीर-रचना को उपचारित करेगा। इन प्रकाशों के रंग उपचार प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अपनी छवियों के निर्माण के समय यही मेरा भी सिद्धांत था।

मुझे प्रशिक्षित करना मेरे गुरूओं के लिए आसान काम नहीं था क्योंकि मेरी शंका हर चीज को लेकर थी, खास तौर पर खुद अपने बारे में। इन छवियों के साथ काम करते वक्त ही मुझे वास्तविक साक्ष्य हासिल हुए। लेकिन ये छवियां हीलिंग में बुनियादी कोर्स करने के बाद ही मुझे प्राप्त हुईं। मैंने उपचारात्मक ऊर्जा के साथ काम करना सीखा और आध्यात्मिक, ऊर्जावान और भौतिक शरीर की क्रियाओं को निष्पादित किया। मैंने सरल हस्तक्षेपों के साथ शुरूआत की और फिर अधिक जटिल क्रियाओं को करने की बढ़ी। जब कभी मैंने किसी नए कौशल को सीखा और प्रवीणता हासिल की, तब मैंने अपने काम को सहज बनाने वाली सहायता पाई।

सबसे पहले मैंने पूरी प्रक्रिया में आने वाली कठिनाइयों और खतरों को सीखा और समझा और फिर परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही मैं स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू कर सकी। लेकिन आप हरेक को अपवाद के बिना इलाज नहीं कर सकते। आपको हर व्यक्ति की इच्छा का पूर्ण आदर करना चाहिए और आप उसके कार्मिक परिदृश्य में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। यदि आप इस परिदृश्य का आदर करने में विफल होते हैं तो आप उस व्यक्ति विशेष की सहायता करने के बजाय उसे नुकसान पहुंचा रहे होते हैं। उसे उन पाठों को सीखना ही चाहिए जिसके लिए वह पुनः एक बार इस धरती पर आया है। उसका समयपूर्व उपचार करके न केवल आप उसे खुद से अपने कर्मों को आरेखित करने से रोकेंगे बल्कि उसके आगे के विकास के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण ज्ञान से भी उसे वंचित करेंगे। यही वह कारण है जिसके चलते हरेक उपचार की स्वीकृति/अनुमोदन हेतु मुझे पिता से पूछना चाहिए।

एकमात्र वही हैं जो यह जानते हैं कि हमारे कर्म कब परिपक्व होंगे और संबंधित आकाशी रिकॉर्ड में पार किए जा सकते हैं।

जब आप उपचार करते हैं तो आपको मदद हेतु पिता को बुलाने के अलावा और भी बहुत कुछ करना चाहिए। हो सकता है आपकी इच्छाएं सार्वभौमिक कानूनों को बाधित करे और निर्माण की क्रिया में अराजकता पैदा करे। अपनी दलील पेश करने के बाद आपको स्वीकृति हेतु प्रतीक्षा करनी चाहिए और इस बात को लेकर सावधान रहना चाहिए कि स्वीकृति के साथ निजी इच्छा का घालमेल न हो जाए। जब स्वीकृति मिल जाती है तब भगवान के प्यार की शक्ति द्वारा आप निर्माण की अनुमत क्रिया के प्रति अपने को केंद्रित कर सकते हैं।

मुझे लगता है कि अब हर कोई एक जादूगर जो दैवीय सहमति के बजाय अपनी मर्जी/इच्छा को मुख्य मानता है और अपनी सहमति के साथ एक उपचारक/हीलर के कार्यों के मध्य के अंतर को भलीभांति समझ सकता है। जादू के अभिनय में एक काफ़ी खतरा छुपा होता है। जादूगर की इच्छा अराजकता को उत्पन्न करती है जो अक्सर ब्रह्मांड के नियमों के खिलाफ काम करती है। प्रत्येक क्रिया एक प्रतिक्रिया को जन्म देती है और इस प्रकार इन वैयक्तिक कार्रवाइयों की उल्टा दबाव बाधक की ओर अपनी पूरी शक्ति के साथ वापस आक्रमण करता है। यह देखा गया है कि एक शानदार कैरियर होने के बाद भी एक जादूगर का अंत अक्सर दुखद होता है।

काले और सफ़ेद जादू में कोई अंतर नहीं है, बस एक दूसरे में धीरे-धीरे रूपांतरित होता है। ये निर्माण के एक एकल हिस्से के दो ध्रुव मात्र हैं। अब तक जादू इन क्षेत्रों में उचित था। अब समय आ गया है कि  उच्चतर ज्ञान, प्रेम और निर्माण के सर्वोच्च सिद्धांत के शिक्षण की दिशा में एक कदम उठाएं।

सच्चा प्यार किसी भी शक्ति के बिना सबसे बड़े चमत्कार को पैदा करता है। यह सभी धर्मों की बुनियाद है। इस सीख को बार बार हमारे लिए प्रस्तुत किया गया है। और फिर भी हम इसकी सुंदरता को समझने और प्रशंस करने में नाकाम रहे हैं। हम केवल उन्हीं चीजों को स्वीकारते हैं जिन्हें हम समानता के आधार पर समझ पाने में समर्थ होते हैं।

उम्र के एक मोड़ पर मनुष्य के पास हमेशा इस सीख को ग्रहण करने का अवसर होता है। आध्यात्मिक गुरू हमारा पथ-प्रदर्शन करने के लिए हमारे बीच अवतरित होते हैं। मानव जाति विभाजित है। हम कठिन परीक्षाओं के माध्यम से गुजरते हैं और मनुष्यजाति के नए समय में रहने की योग्यता के लिए हमारा आंकलन किया जाता है। अपनी पसंद और सोच की समानता एवं भावनाओं के आधार पर हम इस धरती पर जन्म लेते हैं जिसके साथ हमारे स्पंदन समन्वय स्थापित करते हैं। यदि आप अपने ग्रह के साथ एक नए मंडल पर चढ़ना चाहते हैं तो आपको जादू और उसकी सोच से छुटकारा पाना होगा क्योंकि जादू का अस्तित्व मानवजाति के नए समय में नहीं हो सकता।

मुझे लगता है कि अब यह स्पष्ट है कि मैं स्थूल भौतिकवाद से उस परमपिता परमेश्वर की ओर लौट आई जिसका अस्तित्व मेरे समझ बहुत सारे साक्ष्यों के माध्यम से प्रमाणित हो चुका है। अब, संशय या शंका का कोई कारण नहीं है। यह मार्ग आसान नहीं था लेकिन हर व्यक्ति जो प्यार की सार्वभौमिक एकता से जुड़ता है, ब्रह्मांड की संगति में सुरक्षित और खुश महसूस करता है।

जिसने इस बिंदु तक पढ़ा है, उसे अब इस बात को समझना चाहिए कि उपचारात्मक छवियां ऊर्जा के साथ उपचार को पूरित करती हैं जिसे परंपरागत थेरपी/उपचार के साथ संतुलित किया जाना चाहिए। दुर्भाग्यवश, फ़िजिशियन और हीलर इस सहयोग/समन्वय का विरोध करते हैं और इससे उनके मरीजों का अहित ही है। फ़िजिशियन हमारे शरीर के भौतिक भाग पर ही ध्यान केंद्रित करते हैं और यदि बीमारी को दूर नहीं कर पाए तो कम से कम लक्षणों को दबाने का उनका प्रयास रहता है।

दूसरी ओर, उपचारक/हीलर हमारे शरीर के आध्यात्मिक और ऊर्जावान हिस्से पर काम करते हैं और बीमारी के मुख्य कारणों को खत्म करने का प्रयास करते हैं। इसीलिए इन दोनों पक्षों का सहयोग महत्वपूर्ण है।

जब आपका हीलर आपको मानक उपचार लेने से मना करता है और यहां तक कि आपको उन दवाइयों को लेने से रोकता है जिसे आप अब तक जारी रखे हुए हैं तो मेरी बात मानिए, आपने योग्य हीलर का चुनाव नहीं किया है। इसके विपरीत, आपके रोग के बिगड़ने का जोखिम में वृद्धि हो जाती है। अचानक से किसी दवा को बंद करना एक जोखिम को निरूपित करता है जिससे आगे और कठिनाई हो सकती है। योग्य उपचारक/हीलर को वस्तुनिष्ठ नैदानिक विधियों के साथ टकराव का डर नहीं होता है।

शरीर-रचना को सुचारू रूप से काम करने के लिए आपको न केवल अच्छी जीवन-पद्धति अपनाने और अच्छी चीजें खाने की जरूरत है बल्कि प्रयुक्त ऊर्जा के शोधन और नई शुद्ध ऊर्जा ग्रहण करने की भी आवश्यकता है।

अब आप शायद अपने आप से पूछ सकते हैं – कैसे?

आपको एक निश्चित प्रकार के ध्यान या प्रार्थना की जरूरत होती है। सुबह उठते ही शरीर के साथ अपने हाथों को ऊपर की ओर सीधा ले जाएं और प्रयुक्त ऊर्जा के स्लज (गाद) से शुद्ध होवें।कल्पना करें कि पंकिल ऊर्जा आपके शरीर से काले बादलों के रूप में निकल रही है। यह प्रक्रिया आपके विचार के समान ही तीव्र है। आमतौर पर एक व्यक्ति को ऐसा महसूस हो सकता है कि ऊर्जा नीचे की ओर से निकल रही है। प्रयुक्त ऊर्जा को विचारों से तत्काल बर्न करने (जलाने) की जरूरत है ताकि वह अन्य लोगों को प्रभावित ना कर सके।जैसे ही अशुद्धता को समाप्त और जला दिया जाता है, तो आप अपनी हथेलियों में खिंचाव कर सकते हैं और नई ऊर्जा, आध्यात्मिक सूर्य की उपचारात्मक ऊर्जा के लिए कह सकते हैं। मात्र उतनी ही ऊर्जा राशि के लिए कहें जितना तरोताजा होने और रात में आरामदायक नींद के लिए आवश्यक हो। इस अनुनय के बाद आप महसूस करेंगे कि कैसे सप्तम चक्र और अन्य ऊर्जा केंद्र आपमें सर्वश्रेष्ठ ऊर्जा का संचार करते हैं। यदि आप सही खुराक लेने में विफल हो जाते हैं तो आप ओवरडोज (खुराक से अधिक) के शिकार हो सकते हैं। तब आपको अत्यधिक व्यग्रता का अनुभव होगा। इस विफलता को अतिरिक्त ऊर्जा को बाहर निकालकर सुधारा जा सकता है। इस प्रक्रिया के समाप्त होने पर, स्वाभाविक/प्राकृतिक समापन या हमारे प्रभामंडल के बारे में पूछें। मैं निरंतर ऊर्जा विनिमय होने देने के लिए प्रभामंडल स्वाभाविक/प्राकृतिक समापन पर जोर देती हूं।

यदि आप दिन के दौरान थकावट महसूस करते हैं तो इस कार्यविधि को दुहरा सकते हैं। पूरे शुद्धिकरण में अधिकतम 5 मिनट का समय लगता है। मैं आपको सूचित करना चाहूंगी कि शाम के समय, यदि आप देर रात तक काम नहीं करना चाहते हैं, और अधिक ऊर्जा लेने का कोई औचित्य नहीं है। आप अपना अनुनय सीधे पिता या प्यार एवं सृष्टि/निर्माण के सर्वोच्च सिद्धांत से करें। जैसे कि आप नियमित रूप से अपने शरीर को स्वच्छ करते या धोते हैं, ठीक वैसे ही आपको अपने आध्यात्मिक स्व को स्वच्छ करने या धोने की आवश्यकता होती है। इस तरीके से आप अपने शरीर-रचना में हो रही उपचारात्मक/हीलिंग प्रक्रिया का समर्थन कर सकते हैं एवं और अधिक संवेदनशील बन सकते हैं।

लोग आमतौर पर अपने दिन की शुरूआत प्रार्थना से करते हैं। इसका एक गहरा निहितार्थ है। वे अपने मन-मस्तिष्क को ध्यानावस्थित करते हैं और अपने विचार/चिंतन एवं भावनाओं को शुद्ध करते हैं। इस प्रकार, वे शुद्ध व पवित्र मन-मस्तिष्क के साथ नए दिन का प्रारंभ करते हैं। इसके अलावा, वे अपनी प्रार्थना सुबह के जलपान के वक्त भी दोहराते हैं जो कि उन्हें पवित्र ऊर्जा से संचारित कर मजबूत बनाता है। पिता के द्वारा दिए हुए उपहारों के लिए उसे धन्यवाद दें और उससे अपना प्यार/अनुग्रह बनाए रखने की याचना करें। आप देखेंगे कि आपका भोजन अब कितना स्वादिष्ट हो गया है। यह कृपासिंचित भोजन इसके अलावा हानिकारक घटकों से शुद्ध हो चुका होगा और यह शीघ्र क्षयित नहीं होगा।

सच्चाई यह है कि ब्रह्मांड की ऊर्जा बिना किसी भेदभाव के हम सब पर चमकती रहती है। लेकिन हर व्यक्ति के ग्रहणानुसार यह मिश्रित और संशोधित होती है। यही कारण है कि एक व्यक्ति को आध्यात्मिक सूर्य से भिन्न कहीं और से ऊर्जा नहीं ग्रहण करनी चाहिए अन्यथा वह शैतानियत को प्राप्त कर सकता है। मेरा मतलब जानवरों, पौधों या लोगों से प्राप्त हो सकने वाली अत्यधिक लोकप्रिय ऊर्जा के स्थानांतरण से है। आप केवल वही स्वीकार कर सकते हैं जो स्वतः रूप से अधिक से आती है और आपमें ग्रहीत होती है। यदि आप किसी वृक्ष या जानवर पर अपना हाथ रखते हैं और उनकी ऊर्जा ग्रहण करते हैं तो फिर आप उसी रूप में ऊर्जा को प्राप्त करते हैं जो उनसे संबद्ध है न कि आप स्वयं की। निश्चय ही, आप उनकी बीमारी के साथ ही ऊर्जा पाएंगे। उस समय आप अपने भीतर इस ऊर्जा के प्रवाह को महसूस कर सकते हैं जब यह ऊर्जा हमारे ऊर्जा मार्ग को प्रगाढ़ित करती है और इससे अलग तरह की कठिनाइयां जन्म ले सकती हैं। इसलिए, आपको जंगल में घूमते वक्त स्वचालित रूप से आपमें रूपांतरित हुई ऊर्जा के साथ संतुष्ट होना चाहिए। हिंसा द्वारा प्राप्त निकृष्ट ऊर्जा को निकालना बहुत ही मुश्किल भरा होता है, विशेष रूप से तब जब हमारे ऊर्जा मार्ग पहले से ही अवरूद्ध हों। यह भी सत्य है कि आप अपने ऊर्जा मार्गों को अपनी खुद की नकारात्मक सोच से भी अवरूद्ध कर सकते हैं।

वह व्यक्ति जो अक्सर गुस्से में होता है, प्रकाश के स्रोत से अपने प्रभामंडल/दिव्यज्योति को बंद रखता है एवं प्रायः अपनी नापसंदगी के विषय पर हमलावर हो जाता है। हमलावर का प्रभामंडल नकारात्मकता, विफलता और आंसूओं से भरा होता है और इस अपवित्रता के अंश प्रतिपक्षी के प्रभामंडल को भी दूषित कर देते हैं। प्रतिपक्षी समानता के आधार पर हमले को स्वीकार कर लेता है तथा क्रोध के वशीभूत हो जाता है और फिर इसी दुर्गुण को अपने परिवेश में फैलाने लगता है। और इस प्रकार नकारात्मकता का प्रसारण तब तक होता रहता है जब तक कि वह नकारात्मकता उस प्राणी से नहीं मिलती जो उसे स्वीकारने से मना न कर दे और उसके बदले में प्यार और सच्ची समझ को फैलाने न लगे। या, जैसा कि सर्वाधिक मामलों में होता है, निर्दोष व्यक्ति के सुरक्षित प्रभामंडल के माध्यम से यह नकारात्मकता गुजर पाने में असमर्थ हो जाए और समानता के आधार पर रास्ते में ही ग्रहीत के साथ हमलावर के पास वापस चली जाए। तब या तो लड़ाई शुरू हो जाएगी और जो मजबूत होगा वह जीत जाएगा या फिर हमलावर के लिए यह सीख काफी होगी और हमला समाप्त हो जाएगा।

जो मैं कहना चाहती हूं वह थोड़ा अलग है। मैं यह समझाना चाहती हूं कि एक प्राणी जो अपने खुद के गुस्से से अवरूद्ध होता है, प्राकृतिक ऊर्जावान आत्मशुद्धि की ओर जाने वाले रास्ते को बंद कर देता है। और इस तरह वह निराशा से भर जाता है और एक ऊर्जाशील शैतान/पिशाच बन जाता है। मात्र एक छोटा सा कदम आपको वास्तविक शैतानियत की ओर ढकेल सकता है। हम उन्हें इस तथ्य से पहचान सकते हैं कि भले ही वे अच्छे दिखें लेकिन उनके साथ में हम थके हुए लग सकते हैं। ऐसे लोग, जब तक उन्हें उपचारित न किया जाए, आध्यात्मिक क्षय की ओर रत होते हैं।

सकारात्मक सोच और भावनाओं वाले लोग कभी भी समानता के आधार पर ऊर्जा की कमी से ग्रस्त नहीं होते हैं और वे अपनी अच्छाई से अच्छे को आकर्षित करते हैं।

अतः यह याद रखें कि प्यार हमेशा ही आपके पड़ोसियों की ऊर्जा संभाव्यता को मजबूत बना सकता है। बीमार लोगों के पास जाना न केवल एक सामाजिक सेवा है, बल्कि उन तक पहुंचने के द्वारा आप उनमें अपनी दिलचस्पी और प्यार को भी अभिव्यक्त करते हैं। आपकी दयालुता और देखभाल उनकी बहुत मदद कर सकती है और उनके शीघ्र ठीक (चंगा) होने में योगदान दे सकती है। ठीक यही बात एक गर्भवती महिला या क्लांत व्यक्ति के लिए भी लागू होती है।

सच्चा प्यार वाकई बहुत शक्तिशाली होता है और सच्चे चमत्कार को कर सकता है।

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